बाल विकास की अवस्थाओं को मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न भागों मे विभाजित किया है।
कोल के अनुसार विकास की अवस्थाएँ
- शैशवावस्था – जन्म से 2 वर्ष तक
- प्रारम्भिक बाल्यावस्था – 2 से 5 वर्ष तक
- मध्य बाल्यावस्था – बालक 6 से 12, बालिका 6 से 10
- पूर्व किशोरावस्था या उत्तर बाल्यावस्था -बालक 13 से 14, बालिका 11 से 12
- प्रारम्भिक किशोरावस्था – बालक 15 से 16, बालिका 12 से 14
- मध्य किशोरावस्था -बालक 17 से 18, बालिका 15 से 17
- उत्तर किशोरावस्था – बालक 19 से 20, बालिका 18 से 20
- प्रारम्भिक प्रौढ़ अवस्था – 21 से 34 वर्ष
- मध्य प्रौढ़ अवस्था – 35 से 49 वर्ष
- उत्तर प्रौढ़ अवस्था – 50 से 64 वर्ष
- प्रारंभीक वृद्धावस्था – 65 से 74 वर्ष
- वृद्धावस्था – 75 से लगातार
अर्नेस्ट जोन्स के अनुसार
- शैशवावस्था – जन्म से 5 या 6 वर्ष तक
- बाल्यावस्था – 6 से 12 वर्ष तक
- किशोरावस्था – 12 से 18 वर्ष तक
- प्रौढ़ावस्था – 18 वर्ष के बाद
हरलॉक के अनुसार
हरलॉक के द्वारा किया गया वर्गीकरण सबसे सही रूप मे माना जाता है।
- गर्भावस्था :- गर्भाधान से जन्म तक
- शैशवावस्था – जन्म से 14 सप्ताह तक
- बचपनावस्था – 2 सप्ताह के बाद से लेकर 2 वर्ष तक
- पूर्व बाल्यावस्था – 3 वर्ष ले लेकर 6 वर्ष तक
- उत्तर बाल्यावस्था – 6 वर्ष से लेकर 13 वर्ष तक लड़कियों मे तथा 14 वर्ष तक लड़कों मे
- वय: संधि (पूर्व किशोरावस्था ) – ओवर्लैपिंग पीरीअड लड़कियों मे 11 से 15 वर्ष तक, लड़कों मे 12-17 वर्ष तक
- किशोरावस्था – बाल जीवन की अंतिम अवस्था – 14 वर्ष से लेकर 21 वर्ष तक
शैले के अनुसार
- शैशवावस्था – 0 से 5 वर्ष तक
- बाल्यावस्था – 6 से 12 वर्ष तक
- किशोरावस्था -13 वर्ष से 18 वर्ष तक
रॉस के अनुसार
- शैशवावस्था – 1 से 3 वर्ष तक
- पूर्व बाल्यावस्था – 3 से 6 वर्ष तक
- उत्तर बाल्यावस्था – 6 से 12 वर्ष तक
- किशोरावस्था -12 वर्ष से 18 वर्ष तक बाल विकास क्या है ? उसकी कुछ परिभाषाएं बताइए।बाल विकास के सिद्धांत (Principles of Child Development)