संत जाम्भेश्वर जी (जाम्भोजी) का जन्म विक्रम संवत् 1508 (1451 ई.) में पीपासर नामक गाँव (नागौर) में पंवार वंशीय राजपूत ठाकुर परिवार में हुआ था। जाम्भोजी के पिता का नाम ठाकुर लोहट पँवार तथा माता का नाम ‘हंसा देवी’ था जो जाम्भोजी को श्रीकृष्ण का अवतार मानती थीं। संत जाम्भेश्वर जी (जाम्भोजी) को पर्यावरण वैज्ञानिक कहा जाता है। जाम्भोजी ने ‘जम्भ संहिता’, ‘जम्भसागर’, ‘शब्दवाणी’, तथा ‘विश्नोई धर्म प्रकाश’ आदि धर्म ग्रंथों की रचना की। जाम्भोजी द्वारा रचित 120 शब्द वाणियाँ भी संग्रहित हैं। समाज का उत्थान करने के लिए जाम्भोजी ने 29 नियम बनाए। संत जाम्भेश्वर जी (जाम्भोजी) के अनुयायी विश्नोई कहलाते हैं। विश्नोई सम्प्रदाय का प्रवर्तन जाम्भोजी ने सन् 1485 में संभराथल (बीकानेर) में किया। ‘मुकाम’ नामक गाँव में जाम्भोजी ने 1526 ई. में त्रयोदशी को समाधि ली थी। ‘विश्नोई सम्प्रदाय’ की स्थापना जाम्भोजी के द्वारा संभराथल (बीकानेर) में की गई जिसको ‘धोक – धोरा’ के नाम से जाना जाता है। गुरु जाम्भेश्वर ने ‘पाहल’ नामक अभिमंत्रित जल को आज्ञानुवर्ती समुदाय को पिलाकर उन्हें विश्नोई पंथ में दीक्षित किया था। जाम्भोजी से संबंधित 6 देवालय हैं :- 1. पीपासर, 2. मुक्तिधाम, मुकाम, 3. लालसर, 4. जांभा, 5. जांगलू, 6. रामड़ावास आदि। हिन्दू तथा मुस्लिम धर्मों में व्याप्त भ्रमित आडम्बरों का विरोध जाम्भोजी ने किया था। संत जाम्भोजी के श्रीमुख से उच्चारित वाणी को जम्भवाणी, सबदवाणी, तथा गुरुवाणी कहते हैं। जाम्भवाणी काव्य परम्परा में सबदवाणी को देववाणी भी कहा जाता है। जम्भवाणी में कुल 123 शब्द हैं, प्रत्येक शब्द मुक्तक कविता की तरह स्वतंत्र है। गुरु जाम्भेश्वर जी की वाणी से ज्ञात 151 शब्द जा गुरु के रूप में संकलित है जिसको ‘जम्भगीता’ कहा जाता है। ‘जम्भगीता’ को विश्नोई सम्प्रदाय के लोग पाँचवा वेद मानते हैं। जाम्भोजी के धाम :- (1) पीपासर :- इस स्थान पर जाम्भोजी का जन्म नागौर जिले में हुआ। (2) रामड़ावास :- जोधपुर जिले के पीपाड के समीप लोहावट व रामड़ावास स्थान पर उपदेश दिये थे। (3) मुकाम :- बीकानेर जिले की नोखा तहसील में मुकाम नामक स्थान पर जाम्भोजी ने समाधि ली थी। इसी स्मृति में प्रत्येक वर्ष आश्विन एवं फाल्गुन अमावस्या को मेला लगता है। (4) लोदीपुर :- उ.प्र. के मुरादाबाद जिले के लोदीपुर स्थान पर जाम्भोजी भ्रमण करने आये थे। (5) जांगलू :- बीकानेर जिले की नोखा तहसील में जांगलू स्थान पर हर हर वर्ष भादवा अमावस्या तथा चैत्र अमावस्या को मेला लगता है। (6) रोटू :- नागौर जिले के रोटू विश्नोई सम्प्रदाय का आराध्य स्थल है। (7) जाम्भा :- जोधपुर जिले की फलोदी तहसील में स्थित जाम्भा गाँव विश्नोई सम्प्रदाय के लिए पुष्कर की तरह पवित्र तीर्थ स्थल है जहाँ पर प्रति वर्ष चैत्र अमावस्या व भादव पूर्णिमा को मेला भरता है। (8) लालासर :- इस स्थान पर जाम्भोजी को निर्वाण प्राप्त हुआ था, यह स्थान बीकानेर जिले में स्थित है।