रामदेव जी
- जन्म- उपडुकासमेर, शिव तहसील (बाड़मेर) में हुआ।
- रामदेव जी तवंर वंशीय राजपूत थे।
- पिता का नाम अजमल जी व माता का नाम मैणादे था।
- इनकी ध्वजा, नेजा कहताली हैं
- नेजा सफेद या पांच रंगों का होता हैं
- बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे।
- राम देव जी की रचना ” चैबीस बाणिया” कहलाती है।
- रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह “पगल्ये” है।
- इनके लोकगाथा गीत ब्यावले कहलाते हैं।
- रामदेव जी का गीत सबसे लम्बा लोक गीत है।
- इनके मेघवाल भक्त “रिखिया ” कहलाते हैं
- “बालनाथ” जी इनके गुरू थे।
- प्रमुख स्थल- रामदेवरा (रूणिया), पोकरण तहसील (जैसलमेर)
- बाबा रामदेव जी का जनम भाद्रशुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को हुआ।
- राम देव जी का मेला भाद्र शुक्ल दूज से भाद्र शुक्ल एकादशी तक भरता है।
- मेले का प्रमुख आकर्षण ” तरहताली नृत्य” होता हैं।
- मांगी बाई (उदयपुर) तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यागना है।
- तेरहताली नृत्य कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
- रामदेव जी श्री कृष्ण के अवतार माने जाते है।
- तेरहताली नृत्य व्यावसासिक श्रेणी का नृत्य है।
- छोटा रामदेवरा गुजरात में है।
- सुरताखेड़ा (चित्तोड़) व बिराठिया (अजमेर) में भी इनके मंदिर है।
- इनके यात्री ‘जातरू’ कहलाते है।
- रामदेव जी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है।
- मुस्लिम इन्हे रामसापीर के नाम से पुकारते है।
- इन्हे पीरों का पीर कहा जाता है।
- जातिगत छुआछूत व भेदभाव को मिटाने के लिए रामदेव जी ने “जम्मा जागरण ” अभियान चलाया।
- इनके घोडे़ का नाम लीला था।
- रामदेव जी ने मेघवाल जाति की “डाली बाई” को अपनी बहन बनाया।
- इनकी फड़ का वाचन मेघवाल जाति या कामड़ पथ के लोग करते है।