हरियाणा का जन्म/उदय

हरियाणा का जन्म
हरियाणा

हरियाणा का जन्म

हरियाणा स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले:-

  • सन 1803 मे आज हरियाणा जिस हिस्से मे स्थित है वो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा गया था।
  • 1858 मे यह हिस्सा पंजाब राज्य का हिस्सा बनादिया गया था ।इस प्रकार यह ब्रिटिश भारत का एक राज्य बन गया ।
  • लगभग 19 वीं शताब्दी के दौरान इस हिस्से मे किसी प्रकार की कोई नया विकास नहीं हो सका, साथ ही जब 1911 मे दिल्ली को राजधानी बनाया गया तब भी इस हिस्से को अलग रखा गया।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले ही हरियाणा राज्य को अलग करने की मांगे उठती रही है ।
  • सर्वप्रथम वर्ष 1925 में अखिल भारतीय मस्लिम लीग के दिल्ली अधिवेशन में स्वागत समिति के अध्यक्ष पीरजादा मुहम्मद हुसैन ने हरियाणा क्षेत्र को पंजाब से पृथक् करके दिल्ली में मिलाने की माँग उठाई थी।
  • सन 1928 मे दिल्ली मे अधिवेशन मे अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के द्वारा भी इसकी मांग को उठाया गया ।
  • सन 1931 मे दूसरे गोलमेज सम्मेलन के दौरान सर्व दल सम्मेलन ने अपने मांग को दोहराया। इसमे कहा गया की पंजाब की सीमाओं को पुनर्निर्माण किया जाए तथायह क्षेत्र (अंबाला डिवीजन) पंजाब से काटा जाये।
  • सन 1946 मे पट्टाभि सीतारमैया ने अखिल भारतीय भाषाई कॉन्फरेंस (दिल्ली)मे दीनबंधु गुप्त की हरियाणा को पंजाब से अलग करने का खुला समर्थन दिया।
  • सन 1947 मे भारत आजाद हो गया और हरियाणा पंजाब राज्य का हिस्सा बना रहा।

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हरियाणा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद

आजादी के समय हरियाणा पंजाब प्रांत के हिस्से मे था। परंतु आजादी के बाद भी हरियाणा के अलग करने के लिए मांगे लगातार मांगी जा रही थे। इसमे दोनों भाषा के लोग शामिल थे पंजाबी व हिन्दी भाषा को बोलने वाले।

  • सन 1948 में अचानक मास्टर तारा सिंह ने अपने पत्र “अजीत” में पंजाबी सूबा से भी एक कदम आगे “सिक्ख राज्य” की मांग की।
  • हरियाणा क्षेत्र के लोगों में भाषा को लेकर मतभेद होने लगे तथा पंजाब में प्रताप सिंह कैरों के शासनकाल के दौरान हरियाणा प्रदेश को अलग बनाने की मांग उठने लगी।
  •  1 अक्टूबर, 1949 को सच्चर फॉर्मूला के अन्तर्गत पंजाब को दो क्षेत्रों पंजाबी क्षेत्र और हिन्दी क्षेत्र में विभाजित कर दिया गया।

सच्चर फार्मूला :- पंजाब को दो भागों मे विभाजित करना

(1) पंजाब क्षेत्र :- हिन्दी भाषी क्षेत्र से अलग बचा हिस्सा।

(2) हिन्दी क्षेत्र :-हिसार, रोहतक,गुरुग्राम, करनाल, अम्बाला (अम्बाला, जगाधरी, नारायणगढ़, तहसीलें) महेन्द्रगढ़, कोहिस्तान, (अब पटियाला जिले में) संगरूर (जीन्द, नरवाना तहसीलें), शिमला और काँगड़ा आदि क्षेत्रआते हैं।

परंतु लोगों को ये सच्चर फार्मूला पसंद नहीं आया और इस फॉर्मूले को नकार दिया गया ।

  • 29 दिसंबर 1953 में भारत सरकार ने भाषा तथा संस्कृत के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने हेतु सैयद फजल अली के सभापतित्व में एक आयोग का गठन किया। इसीलिए यह आयोग “फजल अली आयोग” के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस आयोग में सन 1956 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।जो लोगों को पसंद नहीं आई फलत: पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट से हरियाणा और पंजाब दोनों को ही बड़ी निराशा हुई।
  • भारतीय संविधान में संशोधन होने के पश्चात राष्ट्रपति की आज्ञा से 24 जुलाई 1956 को पंजाब सरकार ने उक्त क्षेत्रीय फार्मूला राज्य में लागू कर दिया।

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क्षेत्रीय फार्मूला

  • पंजाबी और हिन्दी इस राज्य की सरकारी भाषा है।
  • हर क्षेत्र मे एक क्षेत्रीय समिति होगी जो कानून बनाने से पहले उस समिति से परामर्श करेंगे।
  • दोनों क्षेत्रों की सांझी विधानसभा होगी और एक राज्यपाल होगा।

सन 1957 में प्रताप सिंह कैरों ने जो उस समय मुख्यमंत्री बन गए थे, इस योजना को पूरी तरह सफल होने के अवसर नहीं दिए। परिणाम स्वरूप क्षेत्रीय योजना असफल हो गई।

  • सन 1960 में सिखों के नेता मास्टर तारा सिंह ने पंजाबी सूबे के लिए आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया।
  • मास्टर तारा सिंह की गिरफ़्तारी के बाद नेता फतेह सिंह आए और मांगों को मनवाने के लिए आमरण अनशन पर बैठ गए।
  • हरियाणा के सभी वर्गों द्वारा केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से की गई अपील के परिणाम स्वरूप 23 सितंबर 1965 को लोगों के दबाव में सरकार ने विभाजन के लिए एक कमेटी का गठन किया।
  • समिति के अध्यक्ष सरदार हुकमसिंह बने ।
  • इस समिति की सिफारिशों के अनुसार 23 अप्रैल 1966 एक ‘सीमा आयोग ‘ का गठन किया गया इसके अध्यक्ष जे.सी. शाह को बनाया गया ।और श्री एस दत्त व एम एम फिलिप इसके सदस्य थे।
  • आयोग ने 31, मे 1966 को रिपोर्ट दी ।
  • हरियाणा में निम्नलिखित क्षेत्रों को सम्मिलित किए जाने हेतु संस्तुति की गई। हिसार, महेंद्रगढ़, गुड़गांव, रोहतक, करनाल जिले, जींद तहसील, चंडीगढ़ सहित खरड़ तहसील, नारायणगढ़, अंबाला एवं जगाधरी तहसीलें।
  • ‘पंजाब पुनर्गठन विधेयक’, 1966 लोकसभा द्वारा 18 सितंबर 1966 को पारित हुआ।
  • इसमें “कांगड़ा व शिमला ” नहीं थे।

इस प्रकार एक बहुत बड़े संघर्ष के बाद 1 नवंबर 1966 को हरियाणा, पंजाब से अलग होकर एक नए राज्य के रूप मे उभरा ।

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  • हरियाणा, भारत के 17 वें राज्य के रुप मे बनाया गया।
  • चंडीगढ़ को दोनों राज्य की सांझी राजधानी बनाया गया ।
  • चंडीगढ़ मे ही दोनों राज्यों का सयुक्त न्यायालय है।
  • शासन का कार्य हिन्दी भाषा (लिपि देवनागरी ) व अंग्रेजी भाषा मे किया जाता है।
  • हरियाणा के प्रथम राज्यपाल -धर्मपाल
  • हरियाणा की विधानसभा का गठन नए चुनाव न करवा कर पंजाब के विधानसभा के विधायकों से ही किया गया ।
  • पंडित भगवत दयाल शर्मा को राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनाया गया।

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