वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने एनडीटीवी के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया है।जहां तक रविश कुमार का सवाल है मुझे लगता है आज के समय मे ऐसा कोई नहीं होगा जो उन्हे जानता नहीं होगा । जब भी स्वतंत्र पत्रकारिता की बात आती है तो रविश कुमार का चेहरा सामने या जाता है।
रविश कुमार के इस्तीफे के क्याश उस समय से लगाए जा रहे थे जब से गौतम अदानी के द्वारा उनकी चैनल एनडीटीवी के शेयर खरीद लिए गए थे। आज उन्होंनेअपने यूट्यूब चैनल पर इस बात की जानकारी देते हुए अपने शब्दों मे कहा की ‘आज की शाम एक ऐसी शाम है, जहां चिड़िया को उसका घोंसला नजर नहीं या रहा क्योंकि उसे कोई दूसरा ले गया है, लेकिन उस चिड़िया के पास थक जाने तक खुला आसमान जरूर है।’
इससे आगे रविश कुमार ने अपने जीवन के बारे मे बताते हुए कहा की मैं ये तो नहीं कहूँगा की भारत मे पत्रकारिता का स्वर्ण युग रहा है, वो तो कभी नहीं था,लेकिन इस तरह भस्म युग भी नहीं था। यह दिन भी आना ही था। गोदी मीडिया चैनल की कमी नहीं है, लेकिन वे भी पत्रकारिता की बात करते है। साथ उन्होंने कहा की अभी मे भावनाओ से भरा हु इसलिए संस्थान के संदर्भ मे कुछ नहीं कहूँगा ।
रवीश कुमार ने कहा कि मैंने यहां 26 साल गुजारे हैं और इस यात्रा के अपने उतार-चढ़ाव भी हैं। अब ये यादें दोस्तों के बीच सुनने-सुनाने के काम आएंगी। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि मुझे सभी से कुछ न कुछ मिला है और मैं सबका ही आभारी हूं। बेटी विदा होती है तो वह दूर तक मायके को देखती रहती है। मेरी भी स्थिति ऐसी ही है, अभी विदा होने दीजिए। फिर कभी इसके बारे में विस्तार से बात करूंगा। एनडीटीवी ने एक चीज सिखाई कि टीवी का एक ही मतलब है, टीम। हालांकि एंकरों के स्टार बनने के दौर में यह परंपरा टूटती गई।
मौजूदा दौर की पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए रवीश ने कहा कि मेरा विश्वास गहरा होता चला है कि तंत्र भले ही खत्म हो जाए, लेकिन जन बचा हुआ है। एक दिन यही जन इससे बेहतर तंत्र बना लेगा। कुछ लोगों को भरोसा है कि मीडिया और विपक्ष को खत्म करके जनता को खत्म किया जा सकेगा। लेकिन नफरत की गुलामी से बाहर आने का रास्ता आप ही बनाएंगे और आपको ही बनाना है।
रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम शो को भी याद करते हुए कहा कि मेरे लिए हर सुबह 9 बजने का इंतजार शुरू हो जाता था। उन्होंने कहा कि आज भारत का मीडिया स्पेस बदल चुका है। उन युवाओं के बारे में सोचिए कि जो लोग लाखों रुपये लगाकर इसकी पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें काम पत्रकारिता का नहीं बल्कि दलाली करनी है।
आप इस लेख को खुद रविश जी के यूट्यूब चैनल पर भी देख सकते है।
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वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार
पत्रकारिता जगत में अपने योगदान के लिए रवीश कुमार साल 2019 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं. इसके अलावा उन्हें दो बार रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता पुरस्कार से भी नवाज़ा गया. हिन्दी पत्रकारिता के बहेद लोकप्रिय पत्रकार रविश कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रोग्राम होस्ट किए, जिनमें हम लोग, रवीश की रिपोर्ट, देश की बात और प्राइम टाइम शामिल हैं.
क्या कारण है की वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने इस्तीफा दिया ?
जानकारी के मुताबिक, प्रणय रॉय एनडीटीवी के चेयरपर्सन हैं और राधिका रॉय एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर. उनके पास न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड के एक चौथाई से अधिक शेयर हैं. उन्होंने अपना यह फैसला आरआरपीआर होल्डिंग की 99.5% इक्विटी को अडानी समूह के स्वामित्व वाली विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) को हस्तांतरित करने के बाद लिया है. इस साल अगस्त में, अडानी ग्रुप ने NDTV में अप्रत्यक्ष रूप से 29.1 शेयर्स खरीदे थे. ये सौदा ‘विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL)’ और ‘RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड’ के जरिए हुआ था. अदानी के द्वारा अधिग्रहण करने के कारण उनकी स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रहार था।
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