राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Vaccination Day)

National Vaccination Day 2023:

हर साल 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Vaccination Day) के रूप में मनाया जाता है। कई बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण एक रामबाण उपाय है। इससे कई तरह की बीमारियां होने से हम बच सकते है, इसलिए बेहतर और निरोगी स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण कार्य है। यही कारण है कि एक बच्चे के जन्म के तुरंत बाद से ही उसे वैक्सीन लगना शुरू हो जाता है। इसकी वैल्यू हमें कोरोना महामारी के दौरान ही समझ आई जब इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए पूरे विश्व ने एक बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन के प्रोसेस को अपनाया। वैक्सीन के महत्व और उसकी जरूरत को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए 16 मार्च को नेशनल वैक्सीनेशन डे मनाया जाता है। पिछले कुछ दशकों में टीके दुनिया भर में जानलेवा बीमारियों से लड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार बन गए हैं।

भारत में टीकाकरण का इतिहास

भारत में टीकाकरण का इतिहास बहुत पुराना है. टीकाकरण की शुरुआत 1802 में हुई थी. तब पहली बार  मुंबई की एक 3 वर्षीय बच्ची को चेचक के टीके की पहली खुराक दी गई थी. चेचक महामारी को कम करने के लिए भारत में 1896 में अनिवार्य टीकाकरण अधिनियम पारित किया गया था. बीसवीं शताब्दी के शुरुआत में देश में कम से कम 4 टीके( चेचक, हैजा, प्लेग और टाइफाइड) उपलब्ध थे. एक तरफ हैजा और प्‍लेग तेजी से पैर पसार रहे थे, दूसरी तरफ उन्‍हें टीकाकरण के जरिए नियंत्रित किया जा रहा था. अगस्त 1948 में भारत ने पहला बीसीजी टीकाकरण किया. 1951 में बीसीजी टीके का व्‍यापक अभियान शुरू किया गया और 1977 में भारत को चेचक मुक्‍त घोषित कर दिया गया.

 राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस महत्व

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस यानी नेशनल वैक्सीनेशन डे मनाने के पीछे पोलियो वैक्सीन है। पहली बार उस समय मनाया गया था जब 1995 में राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था। इसके बाद से पोलियो, खसरा जैसी घातक बीमारियों से सुरक्षा के लिए समय समय पर टीकाकरण किया जा रहा है। इस दिन की शुरुआत भले ही बच्चों की वैक्सीन के साथ हुई हो, लेकिन इसका महत्व सभी के लिए है। दरअसल, टीका सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं,बल्कि बड़े, बूढ़ों के लिए भी जरूरी होता है। ऐसे में लोगों को इसका महत्व समझाने से मकसद से इस दिन को मनाया जाता है। वैक्सीन कई खतरनाक और गंभीर बीमारियों को रोकने का एक प्रभावी माध्यम है। वैक्सीन के महत्व का सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान देखने को मिला। WHO के मुताबिक, हर साल टीकाकरण की मदद करीब 2-3 मिलियन लोगों की जान बचाई जाती हैं।महामारी कोरोना वायरस से पिछले साल से ज्यादा दुनियाभर में कोहराम मचा रखा है। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी ने एक बार फिर टीकाकरण के महत्व को पूरी दुनिया को समझाया है। टीकाकरण को बीमारियों से सुरक्षा प्राप्त करने हेतु ढ़ाल के रूप में समझा जा सकता है। टीकाकरण की वजह से एक वक्त में लाखों लोगों की जान लेने वाली चेचक, खसरा, टिटनेस जैसी बीमारियों बच सकते है। इन सभी खतरनाक बीमारियों पर काबू पाने के लिए टीकाकरण आवश्यक है।

 

2014 में भारत बना ‘पोलिया मुक्त देश’

नेशनल वैक्सीनेशन डे भारत सरकार की पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम पल्स पोलियो का जश्न मनाता है जो भारत से पोलियो उन्मूलन के लिए एक उल्लेखनीय पहल थी। इस कार्यक्रम के अनुसार, जन्म से 5 साल तक उम्र के बच्चों को पोलियो वैक्सीन की दो बूंदें दी गई है।इस अभियान को “दो बूँद जिंदगी की” से भारत में पल्स पोलियो कार्यक्रम एक बड़ी सफलता बन गया। साल 2014 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भारत को ‘पोलियो मुक्त देश’ घोषित किया था।

थीम

किसी खास मकसद से मनाए जाने पर हर दिवस के लिए कोई न कोई थीम तय की जाती है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस भी हर साल अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस यानी नेशनल वैक्सीनेशन डे 2022 की थीम ‘वैक्सीन वर्क फर ऑल’ रखी गई है। नेशनल वैक्सीनेशन डे 2022 की थीम का मतलब कैसे टीके सभी के लिए काम करते हैं और दुनियाभर में लोगों की जान बचाते हैं।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 2023 की थीम

इस साल की अभी तक कोई थीम सरकार के द्वारा घोषित नहीं किया गया है।

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